- कन्यादान में 43 नेत्रदान,6 अंगदान और 4 देहदान संकल्प
आवाज टुडे न्यूज़ कोटा।
विवाह के उपलक्ष्य में नव-युगल को ढेर सारे उपहार मिलते है,पर कभी ऐसा नहीं हुआ की,उपहार के स्थान पर कन्यादान में बहू-दामाद को नेत्रदान-अंगदान-देहदान के संकल्प-पत्र मिलें।
पर आज बूँदी जिले में कोटा संभाग कि एक अनोखी शादी हुई,जहाँ लोगों ने शादी का आनंद तो लिया ही ,पर साथ ही शादी समारोह में नेत्रदान,अंगदान, देहदान के बारे में सारी जानकारी ली,और संकल्प पत्र भरे ।
विवाह से पूर्व ही सभी रिश्तेदारों व आने वाले मेहमानों को यह संदेश दिया था कि यदि आपको नव-दंपत्ति को कुछ उपहार ही देना है तो, अपना नेत्रदान-अंगदान-देहदान का संकल्प-पत्र शाइन इंडिया फाउंडेशन को भरकर सौंपे।
संस्था द्वारा लगाये गये शिविर में शादी में आये क़रीबी रिश्तेदारों व मेहमानों ने नेत्रदान-अंगदान-देहदान के संकल्प पत्र भरे । 6 लोगों ने अंगदान,43 लोगों ने नेत्रदान व 4 जनों ने देहदान के लिये अपनी सहमति प्रदान की । आये हुए बारातियों ने अपने रिश्तेदारों को भी इस नेक कार्य के बारे में बताया,तो वहाँ भी 30 लोगों ने नैत्रदान के संकल्प पत्र भरने कि सहमति दी । दूल्हे शुभम और दुल्हन शिल्पा ने समाज के लोगों के बीच फेरे से पहले अंगदान का संकल्प पत्र भरा ।
शुभम अपनी पत्नि के कार्यों की सराहना करते हुए कहते है कि,शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ बहुत ही कम उम्र में हमें आगे के जीवन के लिये एक लक्ष्य मिल गया है । अब हमारा पूरा जीवन इस नेक काम को समर्पित है ।
अपनी बहू शिल्पा की सराहना करते हुए उसके ससुर रूपचंद ने कहा कि,हमारी बेटी ने विवाह के आयोजन में इस तरह के शिविर की शुरुवात की तो,यह हमारे लिए बहुत गौरवान्वित करने वाला पल है । मैंने स्वयं ने भी इतने अच्छे मौके पर,अपनी पत्नी अनिता के साथ नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा।
शिल्पा की माँ शशि जी ने भी इस शुभ मौके पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि,सही समय पर विनोद जी के नेत्रदान नहीं हुए होते तो,आज मेरे मन में यह दुखः रहता कि वह इस पल को नहीं देख पा रहे हैं । पर हमारे सामने न होते हुए भी आज किसी दृष्टिहीन की आँखों में वह अभी भी जीवित है । ज्ञात हो कि शाइन इंडिया फाउंडेशन द्धारा यह प्रदेश में नेत्रदान-अंगदान-देहदान को बढ़ावा देने के लिये इस तरह का नवाचार किया जा रहा है,जिसकी सभी जगह सरहाना की गई है ।
इस दौरान शाइन इंडिया फाउंडेशन बूँदी शाखा के इदरीस बोहरा, टिंकू ओझा का पूर्ण सहयोग रहा।
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