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होली का दहन नहीं होगा भद्रा के साए में, कैसा रहेगा इसका असर?

आवाज टुडे न्यूज़।

रंगो और प्रेम का त्यौहार होली सभी के जीवन में नया उल्लास भर देती है। इस बार होली पर कई वर्षों बाद विशेष योग बना है। होली पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। इसलिए इस बार की होली सभी के लिए मंगलकारी होगी।


ज्योतिषाचार्य पंडित दिलीप औदीच्य ने बताया कि होली का पर्व पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा की तिथि में मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 28 मार्च रविवार के दिन पड़ रही है। इसके बाद अगले दिन यानी 29 मार्च 2021 को रंगों की होली खेली जाएगी। होलिका दहन में भद्रा यानि भद्रकाल का विशेष ध्यान रखा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भद्रा के समय शुभ कार्य का आरंभ और समापन नहीं किया जाता है। होली प्रेम और सौहार्द का पर्व है। होली पर होलिका दहन शुभ मुहूर्त में करने की परंपरा है। मान्यता है कि होली का पूजन कई प्रकार की बाधाओं को दूर कर जीवन में सुख समृद्धि लाती है।

भद्रा का अर्थ :
किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व भद्रा योग का ध्यान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि शुभ कार्य भद्रा योग में नहीं किए जाने चाहिए। पुरणों में भद्रा को सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन बताया गया है। भद्रा का स्वभाव भी शनिदेव की तरह बताया गया है। पंचांग की गणना में भद्राकाल की भूमिका विशेष मानी गई है। इसे विष्टि करण में स्थान प्राप्त है। कुछ कार्यों के लिए भद्राकाल को शुभ भी माना गया है।

होली दहन के समय नहीं होगा भद्रा काल :
इस वर्ष पंचांग के अनुसार 28 मार्च को भद्रा काल दोपहर 1 बजकर 54 मिनट तक ही रहेगा।

होलिका दहन कब है?
पंचांग के अनुसार होलिका दहन 28 मार्च रविवार को किया गया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा की तिथि है। होलिका दहन का मुहूर्त शाम 6 बजकर 37 मिनट से रात्रि 8 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। पंचांग के अनुसार 29 मार्च सोमवार को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि में रंगों की खेली खेली जाएगी।



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